आँखों मे होने वाली समस्या और उसका निवारण

आँखों मे होने वाली समस्या और उसका निवारण :- आंख हर किसी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है चाहे वह इंसान हो, पशु हो, पक्षी हो हर किसी के जीवन जीने के लिए अति आवश्यक होता है। हम यह कह सकते हैं कि ईश्वर ने हर जीव जंतु को आंखें दे कर हर जीव जंतु पर उपकार किया है ताकि हर कोई इस ईश्वर के द्वारा बनाए गए इस अद्भुत,सौंदर्य प्रकृति को देखकर उसका आनंद ले सके।

मानव आँख की सरचना एवम कार्य

आंख कई चीजों से बना हुआ होता है जैसे कि श्वेत पटल , कंजक्टिवा ,कॉर्निया ,इरिस  , पुतली,लेंस, रेटिना ,ऑप्टिक, तंत्रिका ,जली हास्य आदि।

  1. श्वेत पटल :- यह मानव आंख का सुरक्षात्मक बाहरी परत है जो की कॉलेजन् और कुछ  फाइबर से मिलकर बनी होती है। इसका रंग सफेद होता है। इसको अंग्रेजी में sclera भी कहते हैं।
  2. कॉर्निया :- कॉर्निया को स्वच्छ मंडल भी कहा जाता जो की आंख का पारदर्शी भाग होता है। स्वच्छ मंडल में रक्त वाहिका नहीं होती है बल्कि इसमें तंत्रिकाओं का उपस्थित होता है जो की जल की भांति रहती है। प्रकाश कॉर्निया के सहारे ही आंखों में प्रवेश करती है। यह आंख का लगभग दो तिहाई भाग होता है। कार्निया का गुंबद आकर ही किसी भी व्यक्ति की आंख में दूर दृष्टि दोष या निकट दृष्टि दोष का जिम्मेवार रहता है।
  3. परीतरीका :- परीतरीका या iris पुतली की आकर को नियंत्रित करती है।
  4. पुतली :- पतली आंख में प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है
  5. रेटिना :- रेटिना आँख के पिछले भाग के पर्दे को कहा जाता है। रेटिना मे 11  परत होती है। इसके कारण ही जीव जंतु देखने के लिए सक्षम होता है। रेटिना मे अच्छे इमेज न बन पाने के कारण ही दूर या पास के चीजो का अच्छे ढंग से नही देख पाते है।
  6. रेटिना के खराब होने पर रक्तवाहिका मे संचार होने वाला खून बहुत कमजोर हो जाता है। इसको स्वस्थ रखने के कई तरीके है जैसे की :- सुर्य उदय के समय खाली पैर पैदल चलना,साग सब्जी खाना, गाजर खाना आदि।
  7. ऑप्टिक्स :- optics या प्रकाशिकी दो प्रकार के होते ह।
  8. भौतिक :- प्रकाश की  प्रकृति और गुणों से संबंध है।
  9. ज्यामितीय :- इसका संबंध लेंस, दरपं, और प्रकाश से है।

आँखों मे होने वाली समस्या और उसका निवारण

  1. Eye Flue :- ये एक तरह का इंफेक्शंस है। जिसमे आँखे लाल हो जाती है। दरसल कही इंफेक्टेड जगह को चुने के बाद सीधा आँख मे लगाने पर यह इंफेक्शंस तेजी से फैलता है। अगर बात इये फ्लूए के बारे में बात करें तो यह अधिकतर 2 सप्ताह तक रहता है। पर अगर सही समय पर इसका उपचार हो जाए तो यह 24 घंटे या फिर 48 घंटे में ठीक हो सकता है। कैसे बचे:-
  • कहीं बाहर से आने के बाद अच्छी तरह से अपने हाथों को धोए।
  • बार-बार उंगलियों से आंखों को न छुए।
  • अगर किसी इंसान की आंखें लाल हो,तो उससे दूरी बनाए रखें क्योंकि वह इनफेक्टेड होने की संभावना रह शक्ति है।
  • अगर खुद में आई फ्लूए के लक्षण दिखाई पड़े जैसे की आंख लाल होना, आंख खुजलाना, तो तुरंत उसका उपचार करवाये।
  1. मायोपिया :- इस nearsightedness  भी कहते हैं । इसमें होता यह है कि दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती है । दर्शन कॉर्निया ठीक तरह से प्रकाश को रेटिना में केंद्रित नहीं कर पाती है जिस वजह से मायोपिया की समस्या उत्पन्न होती है। मायोपिया को ठीक करने के लिए डॉक्टर कॉनकेव लेंस का  उपयोग करते हैं। कैसे बचे:-
  • आमतौर पर इसके हो जाने पर डॉक्टर चश्मा का इस्तेमाल करने की सुझाव देते हैं। ताकि वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना के आगे ना बनाकर कर ठीक रेटिना पर ही बने।
  • हरी साग सब्जी खाएं।
  • खाने में सलाद का उपयोग करें।
  • फोन,टीवी,स्मार्टफोन, लैपटॉप इन सब चीजों से दूरी बनाए रखें।
  1. हाइपरोपिया :- इसे दूरदर्शिता भी कहा जाता है । दरअसल होता यह है कि मरीज को पास की चीज धुंधली दिखाई पड़ती है। हायपरोपिया को ठीक करने के लिए डॉक्टर कन्वैक्स लेंस का उपयोग करते हैं। इसमें वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर ना बना करके रेटिना के पीछे बनता है, यही कारण है कि दूर के चीजों को स्पष्ट तरीके से नहीं देख पाते हैं। कैसे बचे:-
  • हरी साग सब्जी खाएं।
  • खाने में सलाद का उपयोग करें।
  • फोन,टीवी,स्मार्टफोन इन सब चीजों से दूरी बनाए रखें।
  1. डायबिटिक रेटिनोपैथी :- यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में देखी गई है जिनका  ब्लड शुगर लेवल बड़ा रहता है या फिर बढ़ता है। इस अवस्था में रेटिना में ब्लीडिंग जैसे समस्या उत्पन्न होती है। अगर हम अपने ब्लड शुगर लेवल की समस्या पर नियंत्रण पा लेते हैं तो इसके होने की संभावना बहुत ही काम हो जाती है। कैसे बचे :-
  • समय – समय पर आंखों का इलाज करवाते रहे ताकि पता चल सके कि कहीं इसका नकारात्मक असर आंखों पर नहीं पड़ रहा है। कम से कम साल में तो दो बार जरूर।
  • मधुमेह जैसे चीजों से परहेज रखें।
  • सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले।
  1. ग्लूकोमा :- ग्लूकोमा का सीधा संबंध हमारे मस्तिष्क से होता है इसमें होता यह है कि  आंख से मस्तिष्क तक मैसेज पहुंचने वाली  न्यूरॉन पर असर होने लगता है इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है पर पता लग जाने के बाद या शुरुआती दौर में इसका ठीक होने की संभावना रहती है। कैसे बचे:-
  • प्रतिदिन योगा करें।
  • ऐसे कार्यों से दूर रहे हैं जिनमें सीधा आंख पर असर पड़ता हो या चोट लगने की संभावना हो।
  • समय-समय पर आंखों का इलाज करवाये।
  1. मोतियाबिंद :- संभवत है या बीमारी बढ़ती उम्र में देखा जाता है। इसमें आंखों के लेंस  से धुंधलापन दिखाई पड़ने लगता है। समय रहते इसका इलाज करवाना आवश्यक रहता है। कैसे बचे:-
  • वैसे तो मोतियाबिंद के लिए ऑपरेशन ही एक उपचार है परंतु अगर हम अपने नियमित  कर्यसेलि में कुछ बदलाव ला सकते हैं तो इसे ठीक में संभावना कुछ परसेंट बढ़ सकती है जैसे की-
  • जितना हो सके सूर्य की रोशनी में ना आवे।
  • अपने खाने में सलाद साग सब्जी का उपयोग करें।
  1.  रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा :- यह एक तरफ का देखा जाए तो जेनेटिक बीमारी है जो की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता है हालांकि इसके होने की संभावना बहुत कम रहती है परंतु अगर यह हो जाए तो आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगती है। इसके होने पर रात में दिखाई कम पड़ने लगता है। अगर डॉक्टर की माने तो पुरुष महिलाओं के तुलना में पुरुष को यह बीमारी ज्यादा होने की संभावना रहती है। कैसे बचे:-
  • वर्तमान में इसका कोई इलाज नहीं है।
  • आंख हर किसी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है चाहे वह इंसान हो, पशु हो, पक्षी हो हर किसी के जीवन जीने के लिए अति आवश्यक होता है। हम यह कह सकते हैं कि ईश्वर ने हर जीव जंतु को आंखें दे कर हर जीव जंतु पर उपकार किया है ताकि हर कोई इस ईश्वर के द्वारा बनाए गए इस अद्भुत,सौंदर्य प्रकृति को देखकर उसका आनंद ले सके।

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