- वर्तमान में भारत का स्थिति दिन प्रतिदिन पहले के मुताबिक अच्छा होता जा रहा है। पहले भारत को एक पिछड़े एवं गरीब देश के श्रेणी में रखा जाता था। परंतु आज भारत एक मजबूत , शक्तिशाली वाले देश में रखा जाता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आज भारत उन दस सबसे शक्तिशाली देश में से एक है जिसको जीत पाना कठिन नहीं नामुमकिन है। भारत के शक्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता जा रहा है चाहे वह कृषि हो, अर्थव्यवस्था, दूसरे देशों के साथ व्यापार, डिफेंस इत्यादि। आज भारत मै इन इंडिया के तहत हर चीज को स्वदेशी बना रहा है।भारत पूरे विश्व को लड़ाकू विमान, लड़ाकू पनडुब्बी, मिसाइल, बम इत्यादि का एक्सपोर्ट करता है। जो देश काल तक गरीबी, खराब रोड इंफ्रास्ट्रक्चर, बेरोजगारी के नाम से जाना जाता था आज वह आत्मनिर्भर, 4वीं सबसे बड़ी रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर, यूथ कंट्री आदि।
- भारत ने खुद को इतना मजबूत कर लिया है कि वह अकेले ही अपने दुश्मनों का सामना कर सकता है। वह भी अपने स्वदेशी हथियार, बम ,पनडुब्बी, मिसाइल से ही। बाहर के साथ-साथ भारत ने अपने आंतरिक हिस्सों में भी शांति कायम रखा है कई योजनाओं के तहत यहाँ के लोगों का भला किया जा रहा है।
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- भारत आज पूरे विश्व में शांति का प्रतीक है।जिस भी देश को किसी तरह की सहायता की जरूरत पड़ती है उस समय वह देश भारत को वहां खड़ा पता है बिना किसी शर्त के, सिर्फ और सिर्फ मानवता के लिए भारत मदद के लिए पहुँच जाता है चाहे वह भारत के दुश्मन क्यों ना हो।
- भारत ने अंतरिक्ष के छेत्र मे पूरे विश्व मे अपनी अलग पहचान बनाई है। बीते तीन दसक मे भारत कई ऐसे सैटेलाइट लौंचय किये जो किसी चुनिंदा देशों ने ही लौंच किये है। जैसे की chandrayana -1, chandrayan-2, chandrayan-3, manglayan, aditya L1 ।
भारत के दवारा लौंच किये गए कुछ प्रमुख सैटेलाइट
1)चंद्रयान 3 :- चंद्रयान से चांद पर जाने वाला तीसरा सेटेलाइट है। जो के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा भेजा गया। चंद्रयान-3 के पहले चंद्रयान -2,चंद्रयान 1 को भेजा जा चुका है। Latest news Chandrayaan 3 ISRO
चंद्रयान-1 को 22 अगस्त 2008 को भेजा गया था। इस मिशन की अवधी 2 वर्ष रखा गया था, किंतु 10 मा 6 दिन तक कि इससे संपर्क बना रहा ।चाँद की सतह पर उपस्थित पानी बर्फ की तलाश कर सके खास करके ध्रुव पर इसीलिए इसे भेजा गया। चंद्रयान प्रथम को स्थापित करने वाला भारत चौथा देश बना।चंद्रयान प्रथम को भेजने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है:-
- चांद पर उपस्थित चट्टानों में रसायन की पहचान।
- सतह पर उपस्थित पानी।
- उत्तर दक्षिण ध्रुव के बारे में जानकारी।
चंद्रयान 2 तो 22 जुलाई 2019 को इसरो के द्वारा भेजा गया। इसका भी उद्देश्य चंद्रयान प्रथम की तरह ही था। चंद्रयान-2 में इसरो ने एक ऑर्बिटल एक कैलेंडर और एक रोवर को शामिल किया। लैंडर अपने लैंडिंग से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर अपने निर्धारित पथ से भटक गया और पृथ्वी से उसका संपर्क टूट गया।
हालांकि आगे चलकर 8 सितंबर 2019 को इसरो ने सूचना दिया की ओरिबिटर द्वारा दिए गए फोटोस से विक्रम लैंडर का पता चल गया है परंतु उसके संपर्क साधा नहीं जा सका है।
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया। चंद्रयान 2 की तरह हु चंद्रयान-3 को बनाया गया है। केवल इसमें ऑर्बिटर नही है। चंद्रयान 2 के विफल लैंडिंग के मध्य नजर रखते हुए इसे बनाया गया है। चंद्रयान-3 23 अगस्त 2023 को दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा। दक्षिणी ध्रुव पर उतारने वाला भारत प्रथम देश बना। इससे पहले लूना ने दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का प्रयास किया था परंतु वह लैंड के टाइम अपना संपर्क पृथ्वी से खो बैठा।
चंद्रयान-3 का उद्देश्य था चांद की सतह को अच्छी तरह से समझना एवं वहां उपस्थित चट्टान, सतह के बारे में जानना।
2) आदित्य L1 :- आदित्य L1 एक क्रोनोग्राफ यान है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा पीएसएलवी-सी ५३ राकेट द्वारा भेजा गया। आदित्य L1 भारतीय इतिहास का पहला यान है जो कि सूर्य के बारे में जानकारी जुटाने के लिए भेजा गया। यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर पर लैंग्रेज़ पॉइंट 1 पर स्थापित है। इसको इस जगह पर इसलिए स्थापित किया जाएगा क्योंकि इस पॉइंट पर पृथ्वी एवं सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल एक समान होता है। इसका वजन 2475 किलोग्राम है। इसमें सात पेलोड होंगे इसमें से चार सूर्य की निगरानी करेंगे। मिशन के कुछ उद्देश्य निम्नलिखित है।
● सूर्य के वायुमंडल की संरचना एवं इसके गतिशीलता।
● सौरमंडल में होने वाली मौसम परिवर्तन।
● सौरमंडल के कारण पृथ्वी में होने वाली वातावरण एवं जलवायु परिवर्तन।
● बताया जा रहा है कि इसकी आयु 5 साल की दिया गया है।
आदित्य L1 कई वैज्ञानिक उपकरण से युक्त है जैसे:-
● चुंबकीय क्षेत्र को मापने का।
● सूर्य के एक्स-रे स्पेक्ट्रम को मापेगा।
● सौरमंडल में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तन को समझेगा।
● शौर्य हवा की प्लाज्मा को मापेगा।